नजर को कुछ नजर पे ऐतबार होना चाहिए।
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये ॥
धूल भी उठ के कदम से छू लेगी आकाश को ।
शर्त मगर यह सभ शरे बाज़ार होना चाहिये ॥
सरगमों को ढूंढते हो तुम हज़ल में दोसतो ।
बहर ही तो गज़ल का आधार होना चाहिये ॥
दरद दे चाहे दवा दे , हम तो तेरे यार हैं ।
प्यार में जीवन नहीं दुशवार होना चाहिये ॥
तड़प होनी चाहिये प्यार होना चाहिये ।
अभ दो से नज़रों को यारा चार होना चाहिये
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