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Sep 23, 2012

"गज़ल "

"गज़ल "


नजर को कुछ नजर पे ऐतबार होना चाहिए।


इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये ॥


धूल भी उठ के कदम से छू लेगी आकाश को ।


शर्त मगर यह सभ शरे बाज़ार होना चाहिये ॥


सरगमों को ढूंढते हो तुम हज़ल में दोसतो ।


बहर ही तो गज़ल का आधार होना चाहिये ॥


दरद दे चाहे दवा दे , हम तो तेरे यार हैं ।

प्यार में जीवन नहीं दुशवार होना चाहिये ॥


तड़प होनी चाहिये प्यार होना चाहिये ।

अभ दो से नज़रों को यारा चार होना चाहिये 


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ग़ज़ल

ग़ज़ल

जहर को जरा जिंदगी से भगा दे
चलो जिन्दगी को मोहब्बत बना दे ।

ठिकाना हमारा न तेरे बिन कहीं
कहीं तो हमें भी जरा सी जगा दे ।

हजारों तुम्हे तो मिले इश्क वाले
चलो आज आशिक तुमको दिखा दे ।

खुद दिल तुम्हें दे इस तरह हम कहीं
तुम मुझे हम तुझे खुदा ही बना दे ।

इस तरह बिता ली बिन तुम ए सनम जी
हम खुद को मिटा दे ख़ुशी से दुआ दे

न कहना किसी को दुःख दिलों का 'लाली;
खुदी की नजर में न खुद को गिरा दे ।


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"ग़ज़ल "

"ग़ज़ल "
"Ghazal" 

रेत का घर था , बसाता कैसे

दूर था, उसको बताता कैसे !

rait ka ghar tha, basata kaise !

door tha ,usko btata kaise !

आपका आना,चले फिर जाना

फासला कम था ,मुकाता कैसे !

Aapka aana ,Chle Fir jana

Fasla km tha , mukata kaise !

जखम गहरा सा मिला है मुझको

आपके दिल को , दिखाता कैसे !

Zakhm gehra sa , mila hai mujhko

aapke dil ko , dikhata kaise

रासते में दिल को लिए झुकते थे

मोड़ उस को मैं , भुलाता कैसे !

raaste mein dil ko liye jhukte the
mod us ko main , bhulata kaise

आप भी थे , यह ज़माना भी था

दूरियां कितनी , मिटाता कैसे !
aap bhi the ,yeh zmana bhi tha
Dooriyan kitni , mitata kaise


दूर से दीदार करते थे वोह
बात दिल की मैं बताता कैसे

Door se didar karte the woh
baat dil ki main btata kaise 



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