Sep 23, 2012

ग़ज़ल

ग़ज़ल

जहर को जरा जिंदगी से भगा दे
चलो जिन्दगी को मोहब्बत बना दे ।

ठिकाना हमारा न तेरे बिन कहीं
कहीं तो हमें भी जरा सी जगा दे ।

हजारों तुम्हे तो मिले इश्क वाले
चलो आज आशिक तुमको दिखा दे ।

खुद दिल तुम्हें दे इस तरह हम कहीं
तुम मुझे हम तुझे खुदा ही बना दे ।

इस तरह बिता ली बिन तुम ए सनम जी
हम खुद को मिटा दे ख़ुशी से दुआ दे

न कहना किसी को दुःख दिलों का 'लाली;
खुदी की नजर में न खुद को गिरा दे ।


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